अपने आयकर की योजना बनाने में मदद करने के लिए 7 त्वरित सुझाव

वेतनभोगी कर्मचारी अपने जीवन में शांति और एकरूपता का आनंद लेते हैं। आमदनी का एक पूर्व निर्धारित और लगातार मासिक प्रवाह उन्हें सावधानीपूर्वक खर्च , बचत और निवेश की अनुमति देता है। वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मनी मैनेजमेंट का अंतिम परीक्षण आयकर नियोजन होता है। लापरवाही या जानकारी की कमी या फ़र्ज़ी सोच वित्तीय स्वास्थ्य पर तत्काल प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। यह आपके दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों पर भी असर डाल सकते है।
स्मार्ट निर्णय और स्पष्ट सोच न केवल अतिरिक्त आयकर का भुगतान करने से बचने के लिए परंतु कुछ अतिरिक्त फंड (उचित आयकर योजना के लिए एक इनाम!) के साथ अपने आप को आश्चर्यचकित करने के लिए भी जरुरी है।
वित्तीय वर्ष के मोड़ पर योजना बनाने लिए और आयकर बचाने के लिए निम्नलिखित टिप्स जरूर लाभकारी होंगी।
आयकर बचाने के लिए लाभकारी टिप्स
क्रं |
टिप्स |
ब्रीफिंग |
1. |
जल्दी शुरू करें |
अपनी वित्तीय शांति को भंग न होने दें, सबसे अच्छा विकल्प चुनें और सावधानीपूर्वक योजना बनाएं। |
2. |
आयकर स्लैब |
आपके द्वारा भुगतान की गई कर राशि की ऊपरी सीमा का जरूर पता लगाएं। |
3. |
सेक्शन 80 सी |
कर योग्य इनकम पर 1,50,000 रुपये की अधिकतम कटौती। ईपीएफ, पीपीएफ, एफडी, एनएससी, एनपीएस, यूलिप, लाइफ इंश्योरेंस, होम लोन, ट्यूशन फीस, इक्विटी और डिबेंचर। बड़ी रकम से छोटी रकम तक शुरू करें। |
4. |
फर्स्ट टाइम होम ओनर्स |
ऊपरी कटौती सीमा 50,000 रु। |
5. |
एजुकेशनल लोन |
8 साल के लिए ब्याज का भुगतान । |
6. |
चिकित्सा का खर्च और बीमा |
सेक्शन 80 डी और उसका सब सेक्शन । 25,000-1,25,000 रु। चिकित्सा खर्च की उच्च सीमा। |
7. |
जाँच करें और परामर्श करें |
ध्यान से पढ़ें और यदि दाखिल करने से पहले आवश्यक हो तो परामर्श करें। |
जल्दी शुरू करें ।
कुल देय आयकर और टैक्स बचत की गणना में इस गणना का एक जटिल सेट शामिल हो सकता है। इस संबंध में आपकी सहायता के लिए अलग - अलग प्रकार के आयकर कैलकुलेटर ऑनलाइन उपलब्ध हैं। आयकर विभाग एक अपडेटेड ऑनलाइन आयकर कैलकुलेटर भी प्रदान करता है।
जल्दी शुरू करना निम्नलिखित बाते सुनिश्चित करता है:
- मासिक व्यय का पैटर्न अबाधित रहता है।
- सबसे उपयुक्त विकल्प चुनने के लिए बचत योजनाओं के विकल्पों के साथ पैंतरेबाज़ी करना।
- अंतिम क्षणों में कोई परेशानी और बुरे निर्णय नहीं लिए जाते हैं ।
आयकर (इनकम टैक्स) स्लैब ।
सरकार द्वारा जारी किये गए नवीनतम आयकर स्लैब को देखें। आईटी स्लैब आपको कुल आय का प्रतिशत बताता है जो कि सीमा आय के आधार पर देय कर राशि की ऊपरी सीमा बनाता है। देय आयकर प्राप्त करने के लिए इस राशि से टैक्स की बचत की जाती है।
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सेक्शन 80 सी ।
इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 80 सी, टैक्स बचाने के लिए कटौती और निवेश से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण धारा है और यह कर योग्य आय पर 1,50,000 रुपये की अधिकतम कटौती की अनुमति देता है। कुल कटौती अलग-अलग निवेश फंडों में संघटित की जा सकती है जिसमें आमतौर पर निम्नलिखित (लेकिन उस तक सीमित नहीं) का एक सेट शामिल हो सकता है ।
- एम्प्लॉई प्रोविडेंड फंड (ईपीएफ)
- पब्लिक प्रोविडेंड फंड (पीपीएफ)
- कर-बचत (टैक्स सेविंग) फिक्स्ड डिपॉजिट
- राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) निवेश
- राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी)
- यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप)
- लाइफ इन्शुरन्स प्रीमियम भुगतान
- होम लोन्स
- ट्यूशन शुल्क
- इक्विटी और डिबेंचर
1,50,000 रुपये सीमा बनाने की शुरुवात बड़ी से छोटी राशि से करना बेहतर होता है। चतुर टैक्स बचतकर्ताओं की हमेशा अपने वित्तीय वर्ष के अपडेटेड सेक्शन 80C, इसके विभिन्न उप-वर्गों जैसे कि 80 सी सी सी, 80 सी सी डी (1), 80 सी सी डी (2) और 80 सी सी डी (1 बी), और इनके निचे आनेवाले विभिन्न निवेश विकल्पों की सूची पर एक अच्छी नज़र होती है।
फर्स्ट टाइम होम ओनर्स ।
धारा 80 ई ई के तहत, 50,000 रुपये की अधिकतम कटौती की अनुमति सिर्फ उन लोगों को दी जाती है जिन लोगों ने अपनी पहली आवास संपत्ति खरीदने के लिए गृह कर्ज (होम लोन) लिया है। कटौती ब्याज राशि पर आधारित है।
एजुकेशनल लोन ।
धारा 80 ई के तहत दी जाने वाली अधिकतम कटौती 8 वर्षों के लिए एजुकेशनल लोन पर दिए गए ब्याज पर आधारित है।
चिकित्सा का खर्च और इन्शुरन्स।
चिकित्सा खर्च और इन्शुरन्स कर योग्य आय से कुल कटौती में जोडे जा सकते हैं। मेडिकल इंश्योरेंस के बारे में धारा 80 डी 25,000 - 50,000 रुपये की कटौती की अनुमति देता है। शारीरिक रूप से विकलांगों के उपचार और रखरखाव से संबंधित धारा 80 डी डी 75,000-1,25,000 की कटौती की अनुमति देता है। धारा 80 डी डी बी स्वयं पर किये गए चिकित्सा खर्च से संबंधित है।
जाँच करें और परामर्श करें ।
यह थोड़ा स्पष्ट लग सकता है लेकिन उपरोक्त कर लाभ पाने के लिए हर एक सेक्शन के विवरण पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है क्यों कि वे सालाना संशोधन के अधीन हैं। बहुत सारे ऑनलाइन संसाधन आपको आयकर बचाने में मदद करने के लिए उपलब्ध हैं लेकिन धन मायने रखता है और कुछ कन्फ्यूजन होने पर कर विशेषज्ञ से परामर्श करना बुरा खयाल नहीं है।
कर लाभ प्राप्त करने के लिए विभिन्न कारणों के तहत खर्च और निवेश के उचित प्रमाण देना और आयकर को सुगम गणना के साथ दाखिल करना जरुरी हैं। इन दस्तावेजों में शुल्क पर्ची, विस्तृत ऋण विवरण, बीमा प्रीमियम रिकॉर्ड, मेडिकल बिल, खाता विवरण, यात्रा और कन्वेंशन प्रमाण भी शामिल हैं। यह स्पष्ट है कि इसमें अच्छी खासी कागजी कार्रवाई शामिल है और इसलिए अंतिम क्षणों में देरी से बचने के लिए अधिकतम दस्तावेजों की डिजिटल प्रतियां बनाए रखना एक अच्छा विचार सिद्ध होगा।
इस ब्लॉग में विस्तृत जानकारी की सटीकता बनाए रखने के लिए सभी चीजों का खयाल रखा गया है। हालांकि, अवीवा ब्लॉग की सटीकता या इसके आधार पर की गई कार्रवाइयों की कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया आयकर विभाग की ऑनलाइन टैक्स फाइलिंग साइट देखें ।
Dec 26/18
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